परिचय
आज धर्म का अर्थ बदल चुका है। कल तक जो सम्प्रदाय थे उन्हें आज हिन्दू,मुसलिम,सिख,जैन,पारसी और भी ना मालूम कितनें होगें,उन सभी को हमने अपना-अपना धर्म कहना शुरू कर दिया है। आज वह हिन्दू धर्म,सिख धर्म आदि बन चुके हैं। जबकी ये धर्म नही एक मान्यता है। धर्म एक अलग गुण विशेष का नाम है । जो सम्प्रदायों की दी गई मान्यताओं से भिन्न है ।
धर्म क्या है ?
धर्म प्राकृति का एक गुण है। जिस प्रकार ग्रह,उपग्रह, नक्षत्र आदि एक प्रकृति के आधीन नियमानुसार गतिमान रहते हैं ।आग का धर्म जलाना है इसी तरह सब का धर्म उस की प्राकृति अनुसार है, ठीक उसी प्रकार जीव का विचरण करना,व्यवाहर करना उसका धर्म कहलाता है। वास्तव मे सबका धर्म तो एक ही है लेकिन समय-समय पर उस का अलग-अलग मान्यताओं में परिवर्तन होने के कारण आज जो हमारे सामने उस का रूप है वह धर्म ना होकर एक भय हो गया है।